तुम खास हो मेरे लिए वैसे ही जैसे कड़ी धूप में छांव होता है! तुम खास हो मेरे लिए वैसे ही जैसे कड़ी धूप में छांव होता है!
मिले स्वतंत्र और खुला आसमां, खुशियों से परिपूर्ण संसार मिले।। मिले स्वतंत्र और खुला आसमां, खुशियों से परिपूर्ण संसार मिले।।
सिर्फ समझा न गया, तो"स्त्री" का "स्त्री" होनाजो उसकी एकमात्र पहचान थी। सिर्फ समझा न गया, तो"स्त्री" का "स्त्री" होनाजो उसकी एकमात्र पहचान थी।
अपनी जगह ढूंढ रही हूँ मैं...। अपनी जगह ढूंढ रही हूँ मैं...।
अरे भाई ! आपकी अपनी पत्नी है अर्धांगनी है, धर्मपत्नी है फिर क्यो सोलहवीं सदी की बात करते हो ? अरे भाई ! आपकी अपनी पत्नी है अर्धांगनी है, धर्मपत्नी है फिर क्यो सोलहवीं सदी की ...
नारी - उत्थान नारी - उत्थान